प्लासी का युद्ध (Plasi ka Yuddh) कब हुआ था, किनके बीच हुआ, युद्ध के कारण, परिणाम, आदि की पूरी जानकारी दी गई है | यह टॉपिक UPSC, SSC, Railway, State Exams, आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अति महत्वपूर्ण है |
मुगल साम्राज्य के घटते प्रभाव और ईस्ट इंडिया कंपनी का बढ़ता प्रभाव भारत के भविष्य को बदलने वाला था | 18 वीं शताब्दी के मध्य तक मुगल साम्राज्य बहुत कमजोर हो गया था अब अनेक स्थानीय राजा अपना शासन खुद संभालते थे जैसे कि राजपूत राज्य, सिख राज्य, बंगाल के नवाब, अवध के नवाब, हैदराबाद के निजाम, मराठा, आदि अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्र शासन ही चला रहे थे |
1746 से 1763 तक चले तीन कर्नाटक युद्ध में फ्रांसीसियों की हार और ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत के बाद दक्षिण में ईस्ट इंडिया कंपनी अपना व्यापार आसानी से कर सकती थी | कर्नाटक युद्ध के दौरान प्लासी का युद्ध (Battle Of Plassey) हुआ, जिसके बारे में कि इस पोस्ट में हम जानेंगे |
महत्वपूर्ण बिंदु -
17-18 वीं शताब्दी में बंगाल
बंगाल मुगल साम्राज्य का सबसे उपजाऊ और सबसे अमीर प्रांत था, क्योंकि भौगोलिक रूप से यह गंगा और ब्रह्मपुत्र डेल्टा वाला क्षेत्र था | उस समय बंगाल के अंतर्गत वर्तमान बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, वर्तमान बांग्लादेश और उत्तर-पूर्व भारत के अधिकतर राज्यों का क्षेत्र बंगाल के अंतर्गत आता था | अर्थात बंगाल अपने आप में बहुत बड़ा राज्य था |
ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बंगाल सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र था, क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी का वस्त्र, रेशम, मसालों, आदि का व्यापार बंगाल से होता था |
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बंगाल का नवाब अलीवर्दी खान था और उसकी राजधानी मुर्शिदाबाद थी |
प्लासी के युद्ध की पृष्ठभूमि
यहां पर हम प्लासी के युद्ध से पहले बंगाल की राजनीतिक शासन व्यवस्था को समझने वाले हैं, कि किस तरह से बंगाल में नवाब और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में युद्ध की स्थिति बनी |
- 1717 में मुगल शासक फर्रूखसियर ने ईस्ट इंडिया कंपनी को मुक्त व्यापार का फरमान जारी किया था, जिसे “दस्तक पत्र” कहा जाता है |
- दस्तक पत्र की सहायता से ईस्ट इंडिया कंपनी बिना किसी कर (Tax) के अपना व्यापार कर सकती थी |
- इस दस्तक पत्र को ईस्ट इंडिया कंपनी का मैग्नाकार्टा कहा जाता है |
- दस्तक पत्र का अंग्रेज अधिकारी निजी तौर पर काफी गलत उपयोग करते थे, जिससे बंगाल के नवाब का आर्थिक नुकसान होता था |
- 1740 से 1756 तक बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान थे, जोकि ईस्ट इंडिया कंपनी को नियंत्रण में रखते थे, लेकिन 1756 में अलीवर्दी खान की मौत के बाद उनकी बेटी के बेटे सिराजुद्दौला अपने नाना की मौत के बाद बंगाल का नया नवाब बना |
- सिराजुद्दौला को उसके दरबार में कई सारे दरबारी और उसके सेनापति भी पसंद नहीं करते थे |
- अर्थात सिराजुद्दौला के अपने ही काफी शत्रु थे जैसे कि उसका सैन्य कमांडर मीर जाफर, जगत सेठ, ओमीचंद, घसीटी बेगम, आदि दरबारी भी उससे नाराज थे |
- सिराजुद्दौला ने अपने भाई शौकत जंग की हत्या करके मोहनलाल को पूर्णिया (बिहार) का प्रधानमंत्री बना दिया |
- इस बीच ईस्ट इंडिया कंपनी कोलकाता में अपने फोर्ट विलियम के चारों ओर दीवारों का निर्माण सिराजुद्दौला के विरोध के बावजूद कर रही थी |
युद्ध से पहले की महत्वपूर्ण घटनाएं
- ईस्ट इंडिया कंपनी लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही थी तथा अपने मुफ्त व्यापार पत्र दस्तक का भी दुरुपयोग कर रही थी और सिराजुद्दौला के आदेशों को अनदेखा कर रही थी |
- इन सब के बीच सिराजुद्दौला ने फोर्ट विलियम पर कब्जा करने के लिए जून 1756 में मुर्शिदाबाद से अपनी सेना लेकर कोलकाता पहुंचता है और फोर्ट विलियम पर कब्जा कर लेता है |
- फोर्ट विलियम पर कब्जा करने के बाद 20 से 21 जून 1756 को किले में मौजूद 146 ब्रिटिश लोगों को एक कालकोठरी में डाल दिया जाता है और अगले दिन उस काल कोठरी में से सिर्फ 23 व्यक्ति जीवित बचे थे और 123 व्यक्तियों की मौत हो गई थी, इसे ही “कोलकाता के ब्लैक होल” की घटना के नाम से जाना जाता है |
- ब्लैक होल की घटना के बाद अंग्रेज बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला से बदला लेना चाहते थे |
रॉबर्ट क्लाइव का बंगाल में आगमन
- फोर्ट विलियम हारने के बाद रॉबर्ट क्लाइव और चार्ल्स वाटसन के नेतृत्व में नौसेना बंगाल पहुंची और वापस जनवरी 1757 तक फोर्ट विलियम पर कब्जा कर लिया |
- उस समय तक सिराजुद्दौला अलीनगर से मुर्शिदाबाद चला गया था |
- यह आपको याद रखना है बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला कोलकाता को अलीनगर कहता था |
- अलीनगर की संधि
- फरवरी 1757 में कोलकाता में रॉबर्ट क्लाइव और सिराजुद्दोला के बीच में “अलीनगर की संधि” होती है |
- इस संधि के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी को अपने पुराने अधिकार वापस मिल जाते हैं और वह अब फोर्ट विलियम की दीवार भी बना सकते हैं |
- यह संधि सिराजुद्दौला को अपमानजनक के रूप में लगी |
- मुर्शिदाबाद और कोलकाता के बीच में फ्रांसीसियों का महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र का चंद्रनगर था और रॉबर्ट क्लाइव चंद्रनगर से फ्रांसीसियों को निकालना चाहता था, आपको याद होना चाहिए इसी दौरान दक्षिण में तीसरा कर्नाटक युद्ध चल रहा था |
- रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी ने चंद्रनगर और बंगाल से फ्रांसीसियों को पूरी तरह से हरा दिया | इसके बाद बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी का कोई प्रतियोगी नहीं था |
प्लासी का युद्ध | Plasi ka Yuddh
प्लासी का युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच में 23 जून 1757 को हुगली नदी के तट पर प्लासी (पलासी) नामक स्थान पर होती हैं, जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी सिराजुद्दौला को हरा देती है और मीर जाफर का बेटा सिराजुद्दोला की हत्या कर देता है | battle of Plassey For UPSC
बंगाल के नवाब की 50,000 की सेना और ब्रिटिश सेना में लगभग 3,000 सैनिक थे, लेकिन रॉबर्ट क्लाइव नवाब के सभी प्रमुख सेनापतियों को पहले ही अपनी तरफ कर चुके थे, इसलिए ब्रिटिश सेना को जीतने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई |
- सिराजुद्दोला की हत्या के बाद बंगाल का नवाब मीर जाफर बना दिया जाता है, जो पहले सिराजुद्दौला का सेनापति था |
- प्लासी के युद्ध के बाद मीर जाफर ईस्ट इंडिया कंपनी को युद्ध की क्षतिपूर्ति के रूप में ₹2.2 करोड़ की राशि देता है और बिहार, बंगाल और उड़ीसा में मुक्त व्यापार की छूट दे दी जाती हैं |
प्लासी के युद्ध के बाद की घटना
- सिराजुद्दोला की हत्या के बाद मीर जाफर को अंग्रेज कठपुतली की तरह बंगाल का नवाब बनाना चाहते थे, लेकिन मीर जाफर पूरी तरह से अंग्रेजों के नियंत्रण में नहीं रहा था |
- इस कारण 1760 में मीर जाफर के स्थान पर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नवाब नियुक्त किया जाता है |
- मीर कासिम बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर (वर्तमान बिहार) में स्थानांतरित करता है |
- मीर कासिम ने स्थानीय व्यापारियों के लिए भी व्यापार कर मुक्त बना दिया, जिसका विरोध ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया और उन्हें बंगाल के नवाब पद से हटा दिया |
- मीर कासिम भागकर अवध में चला जाता है और उसके बाद होता है, बक्सर का युद्ध जिसकी चर्चा हम अगले टॉपिक में करेंगे |
प्लासी के युद्ध के परिणाम
- प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल का अधिकतर क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आ गया था |
- बिहार, बंगाल और उड़ीसा में मुफ्त व्यापार की छूट मिल गई थी |
- बंगाल के नवाब का पद अभी ईस्ट इंडिया कंपनी ही तय करती थी |
- ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और नौसेना की शक्ति में तेजी से वृद्धि हुई |
- फ्रांसीसियों की हार के बाद अभीष्ट इंडिया कंपनी बंगाल में एकमात्र यूरोपीय शक्ति थी |
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महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQ)
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प्लासी का युद्ध कब हुआ था ?
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद से 50 किलोमीटर दक्षिण में पलासी नामक जगह (हुगली नदी के किनारे) पर हुआ था |
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प्लासी का युद्ध किन के मध्य हुआ था ?
प्लासी का युद्ध रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच में हुई थी, जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी की विजय हुई और सिराजुद्दोला की हत्या कर दी गई |
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प्लासी का युद्ध कहाँ हुआ था ?
पलासी (पश्चिम बंगाल) में हुआ था |
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