भारत की जलवायु (bharat ki jalvayu) जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक दक्षिण पश्चिम मानसून अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की मानसून शाखाएं आदि की पूरी जानकारी दी गई है | पूरा जरूर पढ़े…
भारत की जलवायु, भारत के भूगोल का महत्वपूर्ण टॉपिक है, जिससे संबंधित प्रश्न विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं |
महत्वपूर्ण बिंदु -
मौसम (Weather):-
किसी विशेष स्थान पर कम समय के लिए जैसे कि एक दिन की वायुमंडलीय स्थिति को वहां का मौसम कहते हैं | जैसे 4 जनवरी 2023 को जोधपुर का मौसम या किसी और शहर का मौसम आदि |
भारत में मौसम संबंधी सेवाओं की शुरुआत 1875 से शुरू हुई | उस समय इसका मुख्यालय शिमला में हुआ करता था | प्रथम विश्व युद्ध के बाद इसका मुख्यालय पुणे में स्थापित किया और तभी से भारत में मौसम संबंधी मानचित्र वहीं से प्रकाशित होते हैं |
जलवायु (Climate):-
जलवायु किसी विशेष क्षेत्र में बहुत लंबे समय तक मौसम की स्थिति को कहते हैं | उदाहरण के लिए भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है |
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भारत की जलवायु (bharat ki jalvayu)
भारत की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु है | कर्क रेखा से लेकर मकर रेखा के बीच उष्णकटिबंधीय क्षेत्र होता है और भारत की मुख्य स्थिति कर्क रेखा के आसपास ही हैं | दूसरी तरफ हिमालय के कारण भारत में शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायु नहीं है हिमालय के उत्तर में शीतोष्ण जबकि दक्षिण में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है |
भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
- स्थिति और अक्षांशीय विस्तार
- भारत उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा के मध्य में स्थित है | इस कारण यहां का तापमान उच्च रहता है और यह भारत को उष्णकटिबंधीय जलवायु वाला क्षेत्र बनाती है |
- समुद्र से दूरी
- प्रायद्वीपीय भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है |
- पश्चिम में अरब सागर दक्षिण में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से गिरे होने के कारण इसका भारत की जलवायु पर प्रभाव पड़ता है |
- हिमालय पर्वत
- भारत के उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत के कारण यह मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाएं भारत में आने से रोकती हैं साथ ही दक्षिण पश्चिम मानसून की हवाओं को रोककर उत्तर भारत में वर्षा कराती हैं |
- भू आकृति
- भारत की विभिन्न भू आकृतिक रचनाएं जैसे कि पहाड़ पठार मैदान और रेगिस्तान जलवायु को प्रभावित करते हैं | जैसे कि पश्चिम घाट के पूर्वी तरफ और अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी तरफ अपेक्षाकृत कम वर्षा होती है |
- मानसूनी हवाएं
- मानसूनी हवाएं भी भारतीय जलवायु को प्रभावित करती है |
- हवाओं में आद्रता की मात्रा, हवाओं की दिशा एवं गति आदि जलवायु को प्रभावित करती हैं |
- एल नीनो
- मौसम की स्थिति है, जिसका प्रभाव भारत के मानसून पर पड़ता है |
- यह समुद्र में होने वाले उत्तल पुथल है और इससे समुद्र के सतही जल का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है |
- यह दिसंबर के आसपास होता है और इसके प्रभाव से भारत में कम वर्षा होती हैं |
- ला नीनो
- ला नीनो में समुद्र के साथ ही जल का ताप सामान्य से कम हो जाता है |
- यह मुख्यतः पेरू देश के समुद्री तट पर होती है |
- इसके प्रभाव से भारत में अच्छी वर्षा होती है |
भारत की ऋतु
मानसूनी पवनों के समय-समय पर अपनी दिशा बदलने के कारण भारत में निम्न चार ऋतु पाई जाती है :-
- शीत ऋतु (दिसंबर से मार्च तक)
- ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून तक)
- वर्षा ऋतु (जून से सितंबर तक)
- शरद ऋतु (सितंबर से दिसंबर तक)
भारतीय मानसून संबंधित महत्वपूर्ण बातें :-
- भूमध्य सागर से आने वाली हवाओं के कारण उत्तरी भारत के मैदानी भागों में शीत ऋतु में होने वाली वर्षा पश्चिमी विक्षोभ या जेटस्ट्रीम के कारण होती हैं | राजस्थान में इसे “मावठ” के नाम से जाना जाता है |
- दिसंबर-जनवरी माह में तमिलनाडु के तट तथा कोरोमंडल तट पर वर्षा होती है | इस वर्षा के होने का कारण लौटती हुई मानसून या उत्तरी-पूर्वी मानसून के कारण होती हैं |
- ग्रीष्म ऋतु में असम और पश्चिम बंगाल राज्यों में आद्र हवाओं के साथ-साथ तीव्र वर्षा होती हैं, इसी वर्षा को अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है | जैसे कि उत्तर-पूर्व भारत में नॉर्वेस्टर, पश्चिम बंगाल में काल बैशाखी तथा कर्नाटक में चेरी ब्लॉसम और कॉफी वर्षा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि एक कॉफी की खेती के लिए काफी लाभदायक होती है | आम की खेती के लिए लाभदायक होने के कारण दक्षिण भारत में इसे आम्र वर्षा भी कहा जाता है |
- उत्तर पश्चिमी भारत में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली शुष्क हवाओं को लू कहां जाता है, यह हवाएं गर्म होती हैं |
दक्षिण पश्चिम मानसून
वर्षा ऋतु में उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान इस क्षेत्र में उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है, जिसे मानसून गर्त कहते हैं | इसी कारण विषुवत रेखीय पछुआ पवन और दक्षिण गोलार्ध की दक्षिण-पूर्वी वाणिज्य पवन विषुवत रेखा को पार करके भारत में प्रवाहित होने लगती हैं, इसे दक्षिण-पश्चिम मानसून (South west monsoon) कहां जाता है | भारत में होने वाली लगभग 80% वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती हैं |
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून दो शाखाओं में विभाजित हो जाता है क्योंकि भारत प्रायद्वीपीय आकार का है, इसी कारण से मानसून की शाखाएं बट जाती हैं | पहली शाखा अरब सागर की शाखा तथा दूसरी शाखा है बंगाल की खाड़ी की शाखा |
अरब सागर की मानसून शाखा
अरब सागर शाखा का मानसून सबसे पहले भारत के केरल राज्य में पहुंचता है | केरल में मानसून लगभग 1 जून से जून के पहले सप्ताह तक पहुंच जाता है | पश्चिमी तट पर स्थित पश्चिमी घाटों के कारण यहां पर तीव्र वर्षा करता है, लेकिन पश्चिमी घाट की पहाड़ियां ऊंची होने के कारण इसके पीछे की तरफ अर्थात पश्चिमी घाट के पूर्वी की तरफ वाले क्षेत्र में वर्षा कम होती हैं, इसी कारण इसे वृष्टि छाया क्षेत्र कहते हैं |
जैसे अगर मैं आपको उदाहरण दूं तो मुंबई में वर्षा ज्यादा होती हैं, लेकिन पुणे में कम होती है, क्योंकि पुणे पश्चिमी घाट की वृष्टि छाया में पड़ता है |
अरब सागर द्वारा लाई गई मानसून अधिक शक्तिशाली होता है | भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून में होने वाली कुल वर्षा का 65% हिस्सा अरब सागर से तथा 35% हिस्सा बंगाल की खाड़ी से आता है |
अरब सागर मानसून की एक शाखा सिंधु नदी के डेल्टा क्षेत्र से होते हुए राजस्थान के मरुस्थल से आगे बढ़ते हुए हिमालय पर्वत से जा टकराती हैं और वहां पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड वाले क्षेत्र में तेज वर्षा करती है | क्योंकि हम सब जानते हैं कि राजस्थान में मानसून के रास्ते में कोई अवरोधक नहीं है, इसी कारण यह वर्षा की कमी पाई जाती हैं और मानसूनी पवने अरावली के समानांतर आगे चली जाती हैं |
बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा
बंगाल की खाड़ी शाखा, मानसून की वह शाखा है भारत के साथ दक्षिण पूर्वी एशियाई देश जैसे कि म्यानमार श्रीलंका मलेशिया थाईलैंड इंडोनेशिया आदि देशों में वर्षा की शाखा है |
यह शाखा 2 धारा में आगे बढ़ती है इसकी उत्तरी धाराएं भारत में मेघालय राज्य में प्रवेश करती हैं |
मेघालय में स्थित गारो, खांसी और जयंतिया की पहाड़ियां बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं के कारण अधिक वर्षा लाती है, क्योंकि यह तीनों ही पहाड़ियां इन हवाओं में अवरोधक (कीप के आकार) के रूप में काम करती हैं और उसके बाद यहां पर खूब वर्षा होती हैं इसी के कारण यहां पर स्थित मासिनराम विश्व का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान है |
तथा दूसरी धारा निम्न दबाव द्रोणी के पूर्वी छोर पर बायीं ओर मूड जाती है | यहां से यह हिमालय की दिशा के साथ-साथ दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम दिशा में बढ़ती है और यह उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र में वर्षा करती हैं |
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों मानसून शाखाएं छोटा नागपुर के पठार के आसपास मिलती है |
एक तरफ जहां पूरे भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा होती हैं, तो तमिलनाडु और कोरोमंडल के कुछ तटों पर वृष्टि छाया के कारण वर्षा काफी कम होती हैं | तमिलनाडु में अधिक वर्षा शरद ऋतु (दिसंबर) में होती हैं, जब उत्तर-पूर्वी मानसून यहां से गुजरता है |
भारतीय जलवायु संबंधित प्रश्न [FAQ]
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भारत की जलवायु कैसी है ?
भारत की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु हैं | भारत की 80% से ज्यादा वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है जिस की दो शाखाएं हैं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी
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भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं – स्थिति और अक्षांशीय विस्तार, हिमालय पर्वत, भू आकृति, समुद्र से दूरी, अलनीनो और लानिनो |
भारत एक विशाल देश होने के कारण यहां पर जलवायु (Bharat Ki Jalvayu) में काफी बदलाव देखने को मिलता है; जैसे – जम्मू कश्मीर और उत्तरी भारत का हिमालय क्षेत्र तो दूसरी तरफ राजस्थान का रेगिस्तान |
लेकिन हमने आपको इस पूरी पोस्ट में काफी सरल भाषा में उदाहरण के साथ समझाया हैं | अगर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो नीचे कमेंट जरुर कीजिए |
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