इस पोस्ट में सभी चारों आंग्ल मैसूर युद्ध (Anglo Mysore War In Hindi) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जो कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है, तो पूरा जरूर पढ़ें |
शुरुआत में हम मैसूर राज्य के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानेंगे, जिससे आपको इन युद्ध की पृष्ठभूमि पता चल सके |
- मैसूर राज्य वर्तमान में मुख्यता आज के कर्नाटक और आसपास के राज्यों का क्षेत्र था | 1612 में वाडियार राजवंश का शासन मैसूर राज्य पर था |
- वाडियार वंश के कृष्णराज वाडियार द्वितीय ने 1734 से 1764 तक शासन किया |
- इसी दौरान वाडयार वंश के शासन में हैदर अली नाम का एक सैन्य कमांडर था, जो अपने प्रशासनिक कौशल और सैन्य रणनीति के बल पर बाद में मैसूर का शासक बना |
- 1759 में कृष्णराज द्वितीय ने हैदर अली को नवाब ऑफ मैसूर की उपाधि दी थी |
- 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हैदर अली के नेतृत्व में मैसूर शक्तिशाली राज्य बना |
- मैसूर राज्य उत्तर में मराठा, उत्तर पूर्व में नवाब, दक्षिण में त्रावणकोर, आदि से गिरा था |
- 1764, 1766, 1771 आदि वर्षों में मराठा ने माधवराव प्रथम के नेतृत्व में लगातार मैसूर पर हमले किए |
- लेकिन 1772 में माधवराव की मृत्यु के पश्चात हैदर अली ने मराठों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त कर लिया |
- मैसूर के हैदर अली को हमेशा से फ्रांसीसीओं का सहयोग मिला क्योंकि इन्होंने भी कर्नाटक युद्ध में फ्रांसीसीओं का सहयोग किया था |
- हैदर अली की सेना को फ्रांसीसी कमांडर द्वारा प्रशिक्षित किया जाता था |
महत्वपूर्ण बिंदु -
प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध
प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध 1767 से 1769 के बीच 2 वर्षों के लिए चला था | प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध मैसूर और अंग्रेजों के बीच में हुआ था, जिसमें मैसूर का प्रतिनिधित्व हैदर अली ने फ्रांस की सहायता से किया, जबकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने मराठा और निजाम की सहायता ली |
इस युद्ध के बीच में हैदर अली ने अचानक से मद्रास पर अपनी सेना द्वारा हमला कर दिया और वहां पर ईस्ट इंडिया कंपनी को हरा दिया इसी के साथ यह युद्ध खत्म हुआ और मैसूर की संधि की गई |
युद्ध के कारण
- प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध का प्रमुख कारण था मद्रास के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी का बढ़ता हुआ प्रभाव, जिसे हैदर अली और फ्रांसीसी कभी नहीं चाहते थे |
- ईस्ट इंडिया कंपनी अपना क्षेत्र को लगातार दक्षिण में बढ़ा रही थी और वह भी मैसूर पर कब्जा करना चाहती थी |
- इसी कारण से हैदर अली ईस्ट इंडिया कंपनी से युद्ध करना चाहते थे |
मद्रास की संधि
- मद्रास की संधि 1776 में हैदर अली और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में की गई |
- इस संधि में यह तय हुआ कि भविष्य में हैदर अली के मैसूर राज्य पर बाहरी आक्रमण के समय ईस्ट इंडिया कंपनी उनकी सैन्य सहायता करेगी अर्थात ईस्ट इंडिया कंपनी मैसूर राज्य की सहायता करने को मजबूर हुई |
- यह संधि EIC के लिए शर्मनाक रही |
मद्रास की संधि के बावजूद जब मैसूर पर 1771 में मराठों का हमला हुआ, तब ईस्ट इंडिया कंपनी उनकी सहायता करने नहीं आई, आगे के युद्ध के लिए यह एक प्रमुख कारण रहा कि अब ईस्ट इंडिया कंपनी हमेशा से मैसूर राज्य की शत्रु बन गई |
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द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध
द्वितीय-आंग्ल मैसूर युद्ध 1780 से 1784 के बीच में मैसूर और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में लड़ा गया | शुरुआत में हैदर अली ने आर्कोट पर कब्जा कर लिया, लेकिन बाद में अंग्रेज सेना अधिकारी सर आयरकूट के नेतृत्व में उसे हार का सामना करना पड़ा | 1782 के बीच में हैदर अली की मृत्यु हो जाती है और उसके पश्चात उसका बेटा टीपू सुल्तान युद्ध को जारी रखता है | 1784 में मंगलौर की संधि युद्ध समाप्त होता है |
युद्ध का कारण
- 1780 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अरब सागर के किनारे स्थित माहे पर कब्जा कर लिया, जो एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था तथा मैसूर राज्य से सटा हुआ था |
मंगलौर की संधि
- इस संधि के तहत हैदर अली द्वारा कंपनी को 1770 में दी गई व्यापारिक सुविधाएं पूर्ववत कायम रखी गई |
- टीपू ने भविष्य में कर्नाटक पर दावा छोड़ने तथा बंदियों को छोड़ने का वादा किया |
- इस संधि की अधिकतर शर्तें टीपू के अनुकूल थी |
तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध
तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध 1790 से 1792 के बीच में टीपू सुल्तान और लॉर्ड कॉर्नवालिस के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में लड़ा गया, जिसमें टीपू सुल्तान की हार हो गई और उसके बाद 1792 में श्रीरंगपट्टनम की संधि की गई |
युद्ध के कारण
- टीपू सुल्तान ने अपनी सैन्य शक्ति को काफी मजबूत किया था | इसके लिए टीपू सुल्तान ने फ्रांस की सहायता भी ली |
- मैसूर के दक्षिण में त्रावणकोर जोकि ईस्ट इंडिया कंपनी का सहयोगी प्रदेश था, उस पर हमला कर दिया और इसी कारण से तीसरा आंग्ल मैसूर युद्ध शुरू हुआ |
श्रीरंगपट्टनम की संधि
- इस संधि के तहत टीपू सुल्तान के राज्य का लगभग आधा क्षेत्र उससे छीन लिया और ईस्ट इंडिया कंपनी, मराठा और निजाम में बांट दिया, जिसमें अधिकतर क्षेत्र ब्रिटिश के पास रहा |
- कुर्ग के राजा को स्वतंत्रता दे दी गई |
- क्षतिपूर्ति के रूप में टीपू को 3 करोड़ रुपए देने पड़े तथा पैसे देने की गारंटी के लिए टीपू के दो बेटों को अंग्रेज अपने साथ ले गए |
चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध
चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध 1798 से 1799 के बीच में चला, जिसमें रिचर्ड वेलेंस्की के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान को हरा दिया |
युद्ध के कारण
- तीसरे युद्ध में हुई हार के बाद टीपू सुल्तान ने अलग-अलग विदेशी देशों; जैसे –अरब, तुर्की, अफगान, आदि से सहायता के लिए संपर्क किया | तथा टीपू सुल्तान ने नेपोलियन बोनापार्ट भारत में हमला करने के लिए आमंत्रित किया था, हालाँकि वह मिस्र से आगे नहीं आ पाया |
- वेलेंस्की ने टीपू सुल्तान को सहायक संधि पर हस्ताक्षर करने को कहा, लेकिन टीपू ने मना कर दिया और उसके बाद टीपू सुल्तान को सहायक संधि पर हस्ताक्षर करने को कहा, लेकिन टीपू ने मना कर दिया और उसके बाद चौथे आंग्ल मैसूर युद्ध की शुरुआत होती है |
महत्वपूर्ण घटनाएं
- इस युद्ध में इस युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु उसकी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में हो जाती है |
- मैसूर राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी और निजाम के बीच में बांट दिया जाता है |
- ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वाडयार वंश के 5 वर्ष के बच्चे कृष्णराजा तृतीय को राजा बनाया जाता है तथा सहायक संधि पर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं |
- टीपू सुल्तान के परिवार को वेल्लोर भेज दिया जाता है |
- इस तरह से चार युद्ध के बाद मैसूर ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ जाता है |
FAQ Of Anglo Mysore War In Hindi
-
पहला आंग्ल मैसूर युद्ध कब हुआ था ?
पहला आंग्ल मैसूर युद्ध 1767 से 1769 के बीच में 2 वर्षों तक मैसूर के हैदर अली और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में हुआ था |
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मद्रास की संधि कब हुई थी ?
मद्रास की संधि पहले आंगल मैसूर युद्ध के बाद 1769 में हैदर अली और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में हुई, जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी ने मैसूर को सैन्य सहायता का वादा किया था |
-
मंगलौर की संधि कब हुई थी ?
मंगलौर की संधि द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध के बाद में हैदर अली और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में 1784 में हुई थी |
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श्रीरंगपट्टनम की संधि कब हुई ?
श्रीरंगपट्टनम की संधि 1748 में में टीपू सुल्तान और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध के बाद में हुई |
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