आधुनिक भारतीय इतिहास में प्रमुख जनजातीय विद्रोह (Janjatiya Andolan List In Hindi) संबंधित वर्ष और वर्तमान स्थान की संक्षिप्त सूची दी गई है, उसके बाद में सभी विद्रोह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसे परीक्षा से पहले जरूर पढ़ें |
जनजातीय विद्रोह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिससे संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते हैं, यहां क्लिक करके इसकी PDF डाउनलोड करें और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें |
महत्वपूर्ण बिंदु -
जनजातीय आंदोलन की सूची | Janjatiya Andolan List
No. | विद्रोह का नाम | वर्ष | स्थान |
---|---|---|---|
1. | सन्यासी विद्रोह | 1773 से 1800 | बिहार और बंगाल |
2. | पहाड़िया विद्रोह | 1779 | बिहार बंगाल और उड़ीसा |
3. | कोल विद्रोह | 1831 | छोटानागपुर, झारखंड |
4. | खासी विद्रोह | 1830 | असम |
5. | कूका विद्रोह | 1840 से 1872 | पंजाब |
6. | खोंड विद्रोह | 1837 से 1856 | उड़ीसा |
7. | संथाल विद्रोह | 1855-56 | झारखंड |
8. | मुंडा विद्रोह | 1895 | झारखंड |
9. | चुआर विद्रोह | 1769 से 1805 | बांकुड़ा क्षेत्र, बंगाल |
10. | पागलपंती विद्रोह | 1813 | बंगाल |
11. | भील विद्रोह | 1818 | महाराष्ट्र |
12. | फैराजी विद्रोह | 1820 | बंगाल |
13. | रामोसी विद्रोह | 1822 | पश्चिमी घाट क्षेत्र |
14. | अहोम विद्रोह | 1828-33 | असम |
15. | कोली विद्रोह | 1822-29 | महाराष्ट्र और गुजरात |
16. | कोया विद्रोह | 1879-80 | आंध्रप्रदेश और ओडिशा |
17. | रम्पा विद्रोह | 1922-24 | गोदावरी क्षेत्र |
18. | चेंचू आदिवासी आंदोलन | 1920 | आंध्रप्रदेश |
प्रमुख जनजाति विद्रोह | Janjatiya Vidroh
सन्यासी विद्रोह
- 1773 से 1800 के बीच में वर्तमान में बिहार और बंगाल वाले क्षेत्र में आदि शंकराचार्य के अनुयायियों द्वारा सन्यासी विद्रोह किया गया था |
- इसका कारण अंग्रेजों द्वारा हिंदू, नागा और गिरी के सशस्त्र संन्यासियों का तीर्थ यात्रा पर प्रतिबंध लगाना था |
- बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 1882 में लिखे उपन्यास “आनंदमठ” में सन्यासी विद्रोह का उल्लेख किया गया है |
- बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग द्वारा अंग्रेजों ने 1820 तक सन्यासी विद्रोह का दमन कर दिया था |
पहाड़िया विद्रोह
- पहाड़िया विद्रोह 1779 के दौरान तिलक मांझी के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ राजस्व वसूली और जमीन के कब्जे के खिलाफ वर्तमान बिहार, बंगाल और उड़ीसा वाले क्षेत्र में हुआ था |
- तिलक मांझी ने 1780-85 के दौरान लगातार ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हमले किए थे, उन्हें 1785 में भागलपुर में वहां के कलेक्टर को मारने के आरोप में फांसी दे दी गई थी |
कोल विद्रोह
- कोल जनजाति के लोग छोटा नागपुर के पठार झारखंड वाले क्षेत्र के निवासी थे, जो अंग्रेजों से पहले पूर्ण स्वायत्तता से रहते थे, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने गैर आदिवासी साहूकारों, जमीदारों और व्यापारियों के अधिग्रहण के कारण स्थानीय जनजातीय लोग की स्थिति दयनीय हो चुकी थी, उनकी जमीनों पर कब्जा हो रहा था |
- 1831-32 के दौरान बुधु भगत के नेतृत्व में 2 साल तक चले सशस्त्र कोलविद्रोह चला, जिसको अंग्रेजों ने बेरहमी से दबा दिया था |
खासी विद्रोह
- खासी विद्रोह 1830 से 1833 के बीच असम में उत्तर पूर्वी पहाड़ी पर तीरथ सिंह के नेतृत्व में हुआ था |
- इस विद्रोह का प्रमुख कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थानीय जनजातीय को जबरन सड़क निर्माण में लगाया जाना था, जिसके विरोध में यह विद्रोह हुआ |
- 1833 में ब्रिटिश सेना द्वारा इस विद्रोह को कुचल दिया गया था |
कूका विद्रोह
- कूका विद्रोह की शुरुआत पंजाब में एक धार्मिक आंदोलन के रूप में हुई थी, जिसने धीरे-धीरे राजनीतिक विद्रोह का रूप ले लिया था |
- सिखों के नामधारी संप्रदाय के लोग “कूका” कहलाते थे और इन्हीं के द्वारा कूका विद्रोह को शुरू किया गया था |
- कूका विद्रोह की शुरुआत भगत जवाहरलाल और उनके शिष्य बालक सिंह और राम सिंह द्वारा की गई थी, जिन्होंने पंजाब में समानांतर सरकार बना डाली थी |
- 1882 में राम सिंह को रंगून भेज दिया गया और बिना नेतृत्व तथा अधूरी तैयारी के कारण धीरे-धीरे यह आंदोलन धीमा पड़ गया |
खोंड विद्रोह
- उड़ीसा के क्षेत्र में 1837 से 1856 तक चक्र बिसोई के नेतृत्व में खंड विद्रोह हुआ था |
- इस विद्रोह का प्रमुख कारण अंग्रेजों द्वारा बलिदान की प्रथा (मरिया) को रोकने का प्रयास तथा साहूकारों द्वारा नए करो (Taxes) को पेश करना था |
संथाल विद्रोह
- संथाल विद्रोह मुख्यतः झारखंड के साथ पश्चिम बंगाल और बिहार वाले क्षेत्रों में ईस्ट इंडिया कंपनी तथा जमीदारी प्रणाली तथा अतिरिक्त ब्याज वसूली के खिलाफ 1855-56 में हुआ था |
- संथाल विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू, कान्हू, चंद और भैरव ने किया था |
- संथालों ने मुख्य रूप से राजमहल और भागलपुर वाले क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था, जिसे “दमन-ए-कोह” के नाम से जाना जाता था | अंग्रेजों के अलावा इन्होंने बाहरी लोगों के खिलाफ भी विद्रोह किया जिसे “दिकू” कहा गया |
- 1856 में अंग्रेजों ने इस आंदोलन को बेरहमी से दबा दिया था |
मुंडा विद्रोह
- मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर का पठार झारखंड वाले क्षेत्र में 1895 में आदिवासियों के लोकनायक बिरसा मुंडा के नेतृत्व में शुरू हुआ |
- इस विद्रोह का भी प्रमुख कारण आदिवासियों की जमीनों पर जमींदारों का कब्जा तथा राजस्व वसूली था |
- बिरसा मुंडा ने अपने आप को भगवान का रूप बताते हुए लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ इकट्ठा किया और आंदोलन के लिए प्रेरित करते हुए 5 जनवरी 1900 को विद्रोह की शुरुआत की |
- अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को पड़कर रांची जेल में डाल दिया था जहां उनका निधन हो गया और इस विद्रोह का भी दमन हो गया था |
- मुंडा जनजाति में सामूहिक खेती के प्रचलन को “खुंटकुटी” कहा जाता था |
- Note:- बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है |
चुआर विद्रोह
- चुआर जनजाति के लोग स्थानीय जंगलों में खेती करना पशु पक्षियों का शिकार करना और जंगल की वस्तुओं को बेचकर गुजारा करते थे तथा अधिकांश लोग स्थानीय जमीदारों के यहां सिपाही (पाइक) के तौर पर काम करते थे, जिसके बदले उन्हें जमीन (पाइकान जमीन) दी जाती थी |
- यह क्षेत्र मुख्यतः पश्चिम बंगाल की जंगलमहल जिले के बांकुड़ा क्षेत्र वाला था, जहां पर अंग्रेजों के अधिकार के बाद स्थानीय लोगों की जगह नई सिपाही भर्ती किए गए तथा उनकी जमीन छीनी जाने लगी जिससे लोगों में विद्रोह पनपा |
- इसके विरोध में दुर्जन सिंह और रानी शिरोमणि के नेतृत्व में लगभग तीन दशक 1769 से 1805 तक विद्रोह चलता रहा |
- इस विद्रोह का प्रमुख नारा था – “अपना गांव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज“
- 1805 में जंगल महल जिले के निर्माण के साथ क्षेत्र में पुनः शांति व्यवस्था स्थापित हुई |
जनजातीय विद्रोह प्रश्न [FAQs]
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संथाल विद्रोह कब हुआ था ?
संथाल विद्रोह की शुरुआत 1855-56 में झारखंड वाले क्षेत्र में सिद्धू और कानों के नेतृत्व में हुआ था |
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मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था ?
आदिवासियों के लोकनायक बिरसा मुंडा ने 1895 से 1900 के बीच चला जनजातीय मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया था |
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खासी विद्रोह कहां पर हुआ था ?
1830 से 1833 के बीच में खासी विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ असम राज्य में हुआ था |
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पंजाब में कौन सा विद्रोह हुआ था ?
1880 के दौरान पंजाब में प्रमुख धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन के रूप में अंग्रेजों के खिलाफ कूका विद्रोह हुआ था |
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पहाड़िया विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था ?
1779 में हुआ पहाड़िया विद्रोह का नेतृत्व तिलक मांझी ने किया था |
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