भूकंप क्या है ? (Bhukamp In Hindi Types Zone Scale) भूकंप के कारण, प्रकार, भूकंप मापने की स्केल, भूकंप का वितरण और प्रमुख पेटी, भूकंप का प्रभाव, भारत में भूकंप के जोन, आदि पूरी जानकारी यहां पर दी गई हैं, पूरा जरूर पढ़ें |
धरती में विभिन्न कारणों से उत्पन्न कंपन को भूकंप कहां जाता है | पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊष्मा का अचानक मुक्त होने पर भूकंप आते हैं |सतह का वह बिंदु जहां से भूकंपीय तरंगे सर्वप्रथम पहुंचती हैं, उसे भूकंप का अधिकेंद्र या Epicenter कहते हैं |
जबकि भूकंप के उद्गम केंद्र को अपकेंद्र (Focus) कहां जाता हैं, जहां से भूकंप के दौरान ऊर्जा निकलती हैं और भूकंपीय तरंगों का निर्माण होता है | अवकेंद्र के ठीक ऊपर अधिकेंद्र होता है |
भूकंप भूगोल का महत्वपूर्ण टॉपिक है और इस आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी, इसे पूरा अच्छे से जरूर पढ़ें |
महत्वपूर्ण बिंदु -
भूकंप के कारण | Bhukamp In Hindi
प्लेट विवर्तनिक गतिविधि (Plate Tectonic)
- पृथ्वी पर स्थित विभिन्न प्लेटों की गति के कारण भूकंप आते हैं |
- अभीसारी प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के तथा अपसारी प्लेट किनारों पर मध्यम तीव्रता के भूकंप तथा संरक्षित प्लेट किनारों पर निम्न तीव्रता के भूकंप आते हैं |
- पृथ्वी पर सर्वाधिक इसी प्रकार के भूकंप आते हैं | हिमालय पर्वत क्षेत्र में ऐसे भूकंप आते हैं |
ज्वालामुखी क्रियाएं (Volcanic Earthquake)
- ज्वालामुखी के विस्फोट होने पर भी क्षेत्र में भूकंप आते हैं |
- ज्वालामुखी विस्फोट के कारण भूमि में कंपन होता है और इस कारण से उसी क्षेत्र में लगातार भूकंप की गतिविधियां भी होती हैं |
- ज्वालामुखी विस्फोट की तीव्रता जितनी अधिक होती हैं, भूकंप की तीव्रता उतनी ही अधिक होगी |
- इस तरह के भूकंप जापान सहित हवाई द्वीप प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आते हैं |
भ्रंश निर्माण
- भ्रंश निर्माण की क्रिया के दौरान पृथ्वी के आंतरिक भाग से अचानक संग्रहित ऊर्जा निकलती हैं और इस कारण से भूकंप आते हैं |
समास्थितिक समायोजन (Isostatic Adjustment)
पृथ्वी अपने उच्च और नीच स्थानों के बीच संतुलन बनाकर रखती हैं और जब भी यह संतुलन बिगड़ता है तो पृथ्वी रचनात्मक गतिविधियों द्वारा से पुनः स्थापित करने का प्रयास करती हैं और उस दौरान भूकंप आते हैं |
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भूकंप का मापन
रिएक्टर स्केल
- रिएक्टर स्केल परिणाम मापने की स्केल हैं, जिसके अंतर्गत भूकंप के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को देखा जाता है |
- रिएक्टर स्केल में 0 से 9 तक इकाई होती हैं |
- रिएक्टर स्केल में भूकंप की तीव्रता का 1 इकाई बढ़ने पर उसकी ऊर्जा 10 गुना बढ़ जाती हैं |
मर्केल्ली स्केल
- मर्केल्ली स्केल के अंतर्गत भूकंप की तीव्रता को देखा जाता है और इसमें भूकंप द्वारा हुए विनाश / आघात के आधार पर भूकंप को तय किया जाता है |
- इसमें 1 से 12 तक की इकाइयां रोमन आंकड़ों में होती हैं |
- यह एक गुणात्मक स्केल हैं |
भूकंप के प्रभाव
- सकारात्मक प्रभाव
- भूकंप विज्ञान से पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी मिलती है |
- कई बार भूकंप के कारण जलमग्न क्षेत्र ऊपर उठ जाता है और द्वीप का निर्माण होता है |
- इसके विपरीत कई बार भूकंप से तटवर्ती क्षेत्र धस जाते हैं, जिससे गहरे बंदरगाह प्राप्त होते हैं |
- नकारात्मक प्रभाव
- भूकंप से लाखों जान माल की हानि होती हैं | नवीनतम उदाहरण 2023 में तुर्की में आया भूकंप हैं |
- भूकंप से अन्य आपदाओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं; जैसे – ज्वालामुखी, सुनामी, भूस्खलन, हिमस्खलन, आदि |
- भूकंप के कारण कई बड़े बांध टूट जाते हैं जिससे बाढ़ की समस्या होती हैं |
- भूकंप के कारण कई अवसंरचनाए नष्ट (infrastructure damage) हो जाती हैं |
- आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है |
भूकंप का वितरण
भूकंप का वितरण प्लेट विवर्तनिक के आधार पर दर्शाया जाता है | विश्व में मुख्य रूप से भूकंप की निम्नलिखित भूकंप की पेटी (belts of earthquake) हैं –
परि प्रशांत महासागरीय पेटी
- यह भूकंप की प्रमुख पेटी है जहां पर विश्व के दो तिहाई भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं |
- यह पेटी अभीसारी प्लेट किनारों पर स्थित हैं अतः यहां उच्च तीव्रता के भूकंप आते हैं |
- इस क्षेत्र में विवर्तनिक ज्वालामुखी और समस्थिक भूकंप आते हैं |
- इस पेटी क्षेत्र में उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, जापान, फिलीपींस, आदि सम्मिलित हैं |
- प्रशांत महासागर के चारों ओर के अति संवेदनशील भूकंप क्षेत्र को “Rings Of Fire” भी कहा जाता है |
मध्य महाद्वीपीय पेटी
- इस पेटी क्षेत्र में विश्व के लगभग 21% भूकंप आते हैं |
- यह पेटी अभीसारी प्लेट किनारों पर स्थित हैं अतः यहां भी बहुत उच्च तीव्रता के भूकंप आते हैं |
- इस क्षेत्र में इंडोनेशिया, म्यानमार, भारत, पाकिस्तान, अरब प्रायद्वीप, दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका सम्मिलित हैं |
मध्य महासागरीय पेटी
- यह पेटी महासागरीय क्षेत्र में अपसारी प्लेट किनारों पर स्थित हैं |
- इस क्षेत्र में मध्यम से निम्न तीव्रता के भूकंप आते हैं |
- यह भूकंप महासागरीय कटक वाले क्षेत्र में आते हैं; जैसे – मध्य अटलांटिक कटक
भारत में भूकंप
भारत में मुख्य रूप से हिमालय क्षेत्र भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित रहता है क्योंकि यहां पर इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट मिलती हैं | इन्हीं दोनों प्लेटों के मिलने से हिमालय का निर्माण भी हुआ है | अभी भी इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट प्रतिवर्ष 1cm की दर से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही हैं |
दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत पुराना और प्रौढ़ भूभाग हैं, जिसे स्थिर माना जाता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कृष्णा भीमा नदी क्षेत्र में भ्रंश के कारण भूकंप की घटनाएं हुई हैं |
भारत में भूकंप का मापन मेदवेदेव स्पूनर कार्निक स्केल के द्वारा किया जाता है, इसे संक्षिप्त में MSK स्केल भी कहते हैं | इसे 1964 में लाया गया था, इसलिए इसे MSK-64 भी कहा जाता है |
यह स्केल मर्केल्ली स्केल पर आधारित हैं और इसमें आघात की तीव्रता देखी जाती है | इसमें 1 से 12 तक की इकाइयां रोमन में लिखी हैं और भारत के भूकंप के क्षेत्र इसी स्केल के आधार पर दर्शाए जाते हैं |
पूरे भारत को भूकंप की तीव्रता के आधार पर 4 जोन में बांटा गया है | भारतीय मानक ब्यूरो ने जोन-1 को जोन-2 में मिला दिया है अतः भारत में अब केवल 4 भूकंप क्षेत्र हैं –
- Zone-5 (11% क्षेत्र) – अत्यधिक क्षति जोखिम क्षेत्र
- इस क्षेत्र में MSK-9 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप आते हैं |
- यह भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हैं क्योंकि यहां पर यूरेशियन और indo-australian प्लेट मिलती हैं |
- इस क्षेत्र में अंडमान निकोबार, उत्तर पूर्वी राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख तथा गुजरात का कच्छ प्रायद्वीप शामिल है |
- Zone-4 (18% क्षेत्र) – अधिक क्षति जोखिम क्षेत्र
- इस क्षेत्र में MSK-8 तक के भूकंप आते हैं और यह जोन-5 के निकट स्थित हैं | अतः यहां भी उच्च तीव्रता के भूकंप देखे जाते हैं |
- इस क्षेत्र में लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, सिक्किम तथा महाराष्ट्र सम्मिलित हैं |
- Zone-3 (30% क्षेत्र) – मध्यम क्षति जोखिम क्षेत्र
- इस क्षेत्र में MSK-7 तीव्रता के भूकंप (मध्यम तीव्रता) आते हैं |
- इस क्षेत्र में उत्तरी मैदानी प्रदेश तथा प्रायद्वीपीय भारत के सभी राज्य सम्मिलित हैं |
- Zone-2 (41% क्षेत्र) – निम्न क्षति जोखिम क्षेत्र
- इस क्षेत्र में MSK-6 या उससे कम तीव्रता के भूकंप आते हैं |
- भारत का बहुत बड़ा भाग इसी जोन में आता है |
- इस जोन में उत्तर पश्चिमी भारत तथा प्रायद्वीपीय भारत का अधिकतम हिस्सा सम्मिलित हैं |
भूकंप से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न [FAQs]
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भूकंप की परिभाषा क्या है ?
विभिन्न कारण से पृथ्वी की प्लेटों में हलचल के कारण उत्पन्न कंपन को भूकंप कहां जाता है | पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊष्मा का अचानक मुक्त होने पर भूकंप आते हैं |
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भूकंप की तीव्रता किसमें मापी जाती हैं ?
भूकंप की तीव्रता सिस्मोग्राफ यंत्र द्वारा मापी जाती हैं और भूकंप को मापने वाली स्केल का नाम रिएक्टर स्केल हैं |
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समभूकंपीय रेखा किसे कहते हैं ?
वह काल्पनिक रेखा जो सामान्य तीव्रता वाले भूकम्पीय क्षेत्र को जोड़ती हैं, उसे समभूकंपीय रेखा कहां जाता है |
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होमोसिस्मल लाइन क्या है ?
होमोसिस्मल लाइन वह काल्पनिक रेखा है, जो उन स्थानों को जोड़ती है जहां पर एक समय (समान समय) पर भूकंप आते हैं |
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अवकेंद्र किसे कहा जाता है ?
भूकंप के उद्गम केंद्र जहां से भूकंप की ऊर्जा निकलती है और तरंगों का निर्माण होता है उसे भूकंप का उद्गम केंद्र या अवकेंद्र (Focus) कहा जाता है |
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भूकंप का अधिकेंद्र किसे कहते हैं ?
भूकंप का अधिकेंद्र (Epicenter) पृथ्वी की सतह पर वह बिंदु होता है, जहां भूकंपीय तरंगे सर्वप्रथम पहुंचती हैं | यह अवकेंद्र के ठीक ऊपर होता है और यहां पर सर्वाधिक विनाश भी होता है |
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भारत में भूकंप के कितने जोन हैं
भारत में भूकंप के चार प्रमुख जोन हैं | उनका वर्गीकरण जोन 2 से जोन 5 तक है |
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