विश्व का भौतिक भूगोल (World Physical Geography In Hindi), जिसमें पृथ्वी का आकार, पृथ्वी की गतियां, परिक्रमण और परिभ्रमण, उपसौर और अपसौर आदि की स्थिति की पूरी जानकारी दी गई है |
विश्व का भूगोल अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जिससे संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, इसलिए आप इस Article को पूरा जरूर पढ़ें |
महत्वपूर्ण बिंदु -
पृथ्वी का आकार | World Physical Geography In Hindi
- पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है ध्रुवों पर चपटी हुई है और भूमध्य क्षेत्र में मोटी है अर्थात पृथ्वी का आकार भूआभ / गोलाभ (Geoid) है, क्योंकि परिभ्रमण के कारण केंद्र दूरी से बाहर की ओर अपकेंद्रीय बल लगता है, जिसके कारण पृथ्वी का विषुवत रेखीय क्षेत्र में अधिक प्रसार हो जाता है जबकि ध्रुवीय क्षेत्र में चपटी हो जाती हैं |
इसी कारण से पृथ्वी की विषुवत रेखा पर त्रिज्या ध्रुवों की त्रिज्या से ज्यादा है | - विषुवत रेखा क्षेत्र में पृथ्वी का आकार बड़ा होने के कारण यह चुंबकीय क्षेत्र से ज्यादा दूर होती हैं और इसीलिए गुरुत्वाकर्षण बल ध्रुवीय क्षेत्रों में अधिक होता है, जबकि विषुवत रेखा क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण बल कम होता है |
- गुरुत्वाकर्षण बल कम होने के कारण ज्यादातर रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र महाद्वीपों के पूर्वी तट पर विषुवत रेखा के समीप स्थापित किए जाते हैं |
जैसे कि फ्रेंच गुयाना प्रक्षेपित केंद्र, आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र |
पृथ्वी का अक्ष
- वह काल्पनिक रेखा, जिसके चारों ओर पृथ्वी परिभ्रमण करती हैं, उसे पृथ्वी की दूरी कहा जाता है |
- पृथ्वी की दूरी लंबवत नहीं होती हैं बल्कि 23½° डिग्री के कोण पर झुकी हुई होती हैं |
- इसी कारण से पृथ्वी की दूरी कक्षीय तल से 66½° का कोण बनाती है |
- पृथ्वी की दूरी का यह झुकाव अक्षीय झुकाव कहलाता है
पृथ्वी की कक्षा
- पृथ्वी की कक्षा का वह पथ हैं, जिसमें धरती सूर्य के चारों ओर चक्र लगाते हैं इसे पृथ्वी की कक्षा कहते हैं |
- पृथ्वी की कक्षा दीर्घ वृत्ताकार हैं और इस कारण सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी बदलती रहती हैं |
- पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी 150 मिलियन किलोमीटर है |
- पृथ्वी और सूर्य के बीच सबसे कम दूरी 3 जनवरी और सबसे अधिक दूरी 4 जुलाई को होती है |
- पृथ्वी की कक्षा का एक चक्र 365 दिन में समाप्त होता है और इस दौरान पृथ्वी 940 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करती हैं |
ध्यान रहे पृथ्वी का अपने अक्ष पर परिभ्रमण 24 घंटे में होता है जब पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर परिक्रमा 365 दिन में
उपसौर और अपसौर स्थिति
- उपसौर अवस्था पृथ्वी की कक्षा में उस स्थिति को कहते हैं जब सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम होती हैं |
- उपसौर अवस्था के दौरान उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु की तीव्रता कम होती हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु की तीव्रता बढ़ती हैं |
- कैपलर के इस नियम के अनुसार, उपसौर अवस्था के दौरान पृथ्वी की परिक्रमण की गति सर्वाधिक होती हैं |
- अपसौर अवस्था पृथ्वी की कक्षा में सूर्य और पृथ्वी के बीच सबसे अधिक दूरी की तिथि को कहा जाता है |
- अपसौर अवस्था के समय उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु की तीव्रता कम हो जाती हैं जबकि दक्षिण गोलार्ध में शीत ऋतु की तीव्रता बढ़ जाती है |
- उपसौर और अपसौर अवस्था उत्तरी गोलार्ध की मौसम परिस्थिति के पक्ष में होती है |
कोरियोलिस प्रभाव
- पृथ्वी के अपने अक्ष पर परिभ्रमण के कारण कोरियोलिस प्रभाव का निर्माण होता है |
- कोरियोलिस प्रभाव के कारण उत्तरी गोलार्ध में मुक्त रूप से गति कर रही वस्तुएं दाईं ओर मुड़ जाती हैं तथा दक्षिणी गोलार्ध में यह वस्तुओं को बायीं ओर मोड़ता है |
- विषुवत रेखा पर कोरियोलिस प्रभाव लगभग शून्य होता है जबकि ध्रुवीय क्षेत्र में कोरियोलिस प्रभाव सर्वाधिक लगता है |
- पृथ्वी पर चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात का निर्माण कोरियोलिस बल के कारण ही होता है |
पृथ्वी की गतियां
परिभ्रमण या घूर्णन (Rotation)
- पृथ्वी द्वारा अपनी धुरी पर चारों और की जाने वाली गति को परिभ्रमण कहा जाता है |
- पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर परिभ्रमण करती हैं |
- पृथ्वी को परिभ्रमण पूरा करने में 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेंड का समय लगता है |
परिभ्रमण के प्रभाव
- सूर्य का पूर्व से उदय और पश्चिम में अस्त होना |
- दिन और रात का निर्माण होना |
- कोरिओलिस प्रभाव का बनना
परिक्रमण (Revolution)
- पृथ्वी द्वारा अपने कक्ष में सूर्य के चारों ओर की जाने वाली गति को परिक्रमण (Revolution) कहा जाता है |
- पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर सूर्य की परिक्रमा करती हैं |
- पृथ्वी को परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है |
- इन्हीं अतिरिक्त 6 घंटों के लिए प्रत्येक 4 वर्ष में एक बार लीप वर्ष होता है, जिसमें 29 फरवरी होती हैं |
विषुव (Equinox)
- पृथ्वी की कक्षा में वह स्थिति जब सूर्य विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर स्थित होता है, उसे विषुव (Equinox) कहते हैं |
- विश्व के दौरान पृथ्वी पर दिन और रात 12-12 घंटे के बराबर होते हैं |
- 1 साल में दो बार विषुव की स्थिति होती हैं –
- 21 मार्च – वसंत विषुव
- 23 सितंबर – शरद विषुव
अयनांत (Solstice)
- अयनांत वह स्थिति होती हैं, जब सूर्य 23½° के ठीक ऊपर स्थित होता है |
- 1 वर्ष में दो बार अयनांत की स्थिति होती हैं –
- 21 जून – ग्रीष्म अयनांत
- 22 दिसंबर – शीत अयनांत
- ग्रीष्म अयनांत (Summer Solsite)
- इस स्थिति में सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर स्थित होता है |
- यह स्थिति 21 जून को होती हैं |
- इस दौरान उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में सबसे लंबी रात होती हैं |
- इस स्थिति में दक्षिण में 23½° दक्षिणी अंटार्कटिक वृत्त तक सूर्य की किरणें पहुंचती है |
- शीत अयनांत (Winter Solstice)
- इस स्थिति में सूर्य मकर रेखा के ठीक ऊपर रहता है |
- शीत अयनांत 22 दिसंबर को होता है |
- इस दौरान दक्षिण गोलार्ध में सबसे लंबा दिन जबकि उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबी रात होती हैं |
- इस दौरान सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध में 66½° डिग्री तक पहुंचती है |
Note :- ग्रीष्म अयनांत के कारण सूर्य की किरण दक्षिण गोलार्ध में अंटार्कटिक वृत से आगे नहीं जाती हैं और वहां पर 6 महीने तक रात होती हैं, जबकि शीत अयनांत के दौरान उत्तरी गोलार्ध में आर्कटिक वृत्त से आगे सूर्य की किरणें नहीं जाती है | इसी कारण दोनों गोलार्ध में 66½° डिग्री से 90° के बीच 6 महीने तक दिन और रात की स्थिति रहती हैं |
महत्वपूर्ण प्रश्न
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पृथ्वी अपने अक्ष पर कितने डिग्री झुकी हुई है ?
पृथ्वी अपने अक्ष पर 23½° झुकी हुई है
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पृथ्वी और सूर्य के बीच सबसे कम दूरी कब होती है ?
पृथ्वी और सूर्य के बीच में सबसे कम दूरी 3 जनवरी को होती है उस स्थिति को उपसौर कहते हैं |
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सूर्य कर्क रेखा पर कब होता है ?
21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं और इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है |
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