नमस्कार दोस्तों आज कि इस पोस्ट में हम आपको राज्यपाल (Governors) से संबंधित पूरी जानकारी देने वाले हैं | राज्यपाल (Rajyo Ke Rajypal) से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद, उसके विशेषाधिकार, शक्तियां और कार्य आदि की पूरी जानकारी आपको मिल जाएगी, तो आप इसे पूरा ध्यान से पढ़िए तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए |
महत्वपूर्ण बिंदु -
राज्यपाल | Governors | Rajypal
राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है | वह प्रत्यक्ष रूप से यहां अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इसका उपयोग करता है | अर्थात राज्यों में राज्यपाल की स्थिति कार्यपालिका के प्रधान की होती हैं, परंतु वास्तविक शक्ति मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद की होती है |
राज्यपाल का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 153 में किया गया है | मूल संविधान में अनुच्छेद 153 में यह उल्लेख था, कि प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा | किंतु सातवें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में यह जोड़ा गया कि एक व्यक्ति एक ही समय दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल भी रह सकता है, जिस तरह से हम वर्तमान में देखते हैं कि कुछ राज्यपाल दो राज्यों के राज्यपाल भी होते हैं | जैसे अभी भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र और गोवा दोनों की राज्यपाल है |( September 2021)
राज्यपाल की योग्यता (Rajypal Ki Yogyta)
किसी भी व्यक्ति के राज्यपाल बनने के लिए निम्न योग्यताएं होना आवश्यक है-
- वह व्यक्ति भारत देश का नागरिक होना चाहिए |
- राज्यपाल बनने के लिए न्यूनतम उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए |
- राज्यपाल पद पर चुने जाने के समय किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए |
- राज्यपाल पद पर चयनित होने के लिए उसे राज्य विधान सभा के सदस्य की सभी योग्यताओं को पूरा करना चाहिए |
राज्यपाल की नियुक्ति (Rajypal Ki Niyukti)
राज्यपाल की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है | भारत का राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति 5 वर्षों की अवधि के लिए की जाती है; परंतु वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है | इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 156(1) के तहत किया गया है |
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राज्यपाल को हटाना
भारत के संविधान में राज्यपाल को उसके पद से हटाने के लिए किसी भी प्रकार की प्रक्रिया का उल्लेख नहीं किया गया है | अगर राष्ट्रपति चाहे तो राज्यपाल को अपने पद से कभी भी हटा सकता है या उसे किसी दूसरे राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है |
सरल शब्दों में कहें तो राज्यपाल केंद्र सरकार (अप्रत्याशित रूप से राष्ट्रपति) के प्रसादपर्यंत तक पद पर रहता है |
राज्यपाल का वेतन (Rajypal Ki Salary)
जब कोई भी व्यक्ति राज्य का राज्यपाल नियुक्त होता है तो उसका वेतन 3,50,000 प्रति माह होता है | जब कोई व्यक्ति दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल हो, तब राष्ट्रपति के द्वारा निर्धारित किए गए अनुपात के आधार पर उसे वेतन दिया जाता है |
राज्यपाल की शपथ और इस्तीफा
राज्यपाल को पद ग्रहण की शपथ उस राज्य से संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में वरिष्ठ न्यायाधीश शपथ दिलाता है |
राज्यपाल अगर अपना इस्तीफा देना चाहता है, तो राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपता है |
राज्यपाल की शक्तियां तथा कार्य (Rajypal Ki Shaktiya Aur Kary)
कार्यपालिका संबंधी कार्य
- राज्य के समस्त कार्यपालिका के कार्य राज्यपाल के नाम से ही किए जाते हैं | राज्यपाल विधानसभा के नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर तथा मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री परिषद की नियुक्ति करता है |
- राज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद को शपथ दिलाता है | राज्यपाल राज्य के प्रमुख उच्च अधिकारी जैसे कि मुख्य सचिव महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है |
- हालांकि आपको ध्यान रखना है कि राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष को राज्यपाल नहीं हटा सकता है | उन्हें राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है | यह उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 317 में किया गया है |
- राज्यपाल को अधिकार होता है कि वह राज्य के प्रशासन से संबंधित जानकारी मुख्यमंत्री से प्राप्त करें |
- जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तब राज्यपाल केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रूप में राज्य में प्रशासन चलाता है |
- राज्यपाल संबंधित राज्य के सभी विश्वविद्यालयों का पदेन कुलाधिपति होता है | तथा वह उपकुलपतियों को नियुक्त करता है |
- जिस राज्यों में विधान परिषद है, वहां पर राज्यपाल विधान परिषद के सदस्य संख्या का 1/6 भाग सदस्यों को नियुक्त करता है जिनका संबंध विज्ञान, साहित्य, कला, समाज सेवा, सहकारी आंदोलन, आदि से रहता है |
राज्यपाल के विधायी अधिकार
- अनुच्छेद 164 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि राज्यपाल विधानमंडल का अभिन्न अंग होता है |
- राज्यपाल विधानमंडल का सत्र आहूत, सत्रावसान करने की घोषणा करता है | राज्यपाल विधानसभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है |
- राज्य विधान मंडल द्वारा पारित किसी भी विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही वह विधेयक अधिनियम बन पाता है |
- अनुच्छेद 213 के तहत उल्लेख किया गया है कि जब विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा हो और राज्यपाल को तुरंत कानून लागू करने की आवश्यकता महसूस होती हैं, उस समय राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है, जोकि विधान मंडल द्वारा पारित कानून के समान ही कार्य करता है | राज्यपाल द्वारा घोषित किए गए ऐसे अध्यादेश को 6 सप्ताह के भीतर विधान मंडल द्वारा स्वीकृत होना आवश्यक है | और यदि स्वीकृत नहीं होता है तो इसकी वैधता समाप्त हो जाती है |
- राज्यपाल धन विधेयक के अलावा किसी भी विधेयक को पुनर्विचार के लिए राज्य विधानमंडल के पास में भेज सकता है, परंतु अगर विधानमंडल दोबारा उसे पारित कर के राज्यपाल के पास में भेज दें तब उस समय राज्यपाल अपनी सहमति देने के लिए बाध्य होता है |
- अगर राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज देता है, तो राष्ट्रपति और कानून को वापस विधानमंडल के पास में भेज सकता है तथा अगर विधान मंडल दोबारा उसे पारित करके भेजें, तब भी राष्ट्रपति उस पर सहमति देने के लिए बाध्य नहीं होता है |
राज्यपाल के वित्तीय अधिकार
- राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राज्य के वित्त मंत्री को विधानमंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) प्रस्तुत करने के लिए कहता है |
- विधानसभा में धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जा सकता है |
- ऐसा कोई भी विधेयक जो कि राज्य की संचित निधि से खर्च निकालने की व्यवस्था करता हो, तो राज्यपाल की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है अन्यथा इसे पेश नहीं किया जा सकता है |
राज्यपाल के न्यायिक अधिकार
राज्यपाल किसी भी दंड को क्षमा कर सकता है, या सजा के प्रकार को बदल सकता है, सजा के समय को कम कर सकता है | परंतु राज्यपाल मृत्युदंड को कम नहीं कर सकता, यह अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास होता है | इसी तरह से सैन्य कोर्ट के किसी फैसले को भी राज्यपाल नहीं बदल सकता |
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि "अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल भी किसी भी प्रकार की सजा को माफ कर सकता है |"
राज्यपाल की आपातकालीन शक्तियां
जब राज्यपाल को राज्य की ऐसी स्थिति लगती हैं, की उसे संवैधानिक तरीके से शासन नहीं चलाया जा सकता है, ऐसे समय में राज्यपाल राष्ट्रपति को प्रतिवेदन भेजता हैं की राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए |
राष्ट्रपति शासन का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत किया गया है | जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है, उस समय राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य करता है |
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राज्यपाल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
राज्यपाल का उल्लेख किस अनुच्छेद में किया गया है ?
राज्यपाल का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 में किया गया है |
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है ?
राज्यपाल की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है |
राज्यपाल का वेतन कितना होता है ?
किसी भी राज्य के राज्यपाल का वेतन 3.5 लाख प्रति माह होता है |
राज्यपाल की वास्तविक स्थिति
वैसे तो हमें यह पूरी जानकारी पढ़कर लगा होगा कि राज्यपाल का पद बहुत शक्तिशाली होता है और उसके पास बहुत सारे अधिकार होते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है | राज्यपाल की अधिकतर शक्तियों का प्रयोग मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्री परिषद ही करती हैं | क्योंकि भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है, जिसमें मंत्री परिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई होती हैं, अतः वास्तविक शक्तियां मंत्रिपरिषद को ही प्राप्त होती हैं ना कि राज्यपाल को | राज्यपाल एक संवैधानिक पद होता है इस तरह से केंद्र में राष्ट्रपति का कार्य होता है लगभग उसी तरह राज्य में राज्यपाल की जिम्मेदारी होती हैं |
तो दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको राज्यपाल के बारे में पूरी जानकारी दी हैं अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो उसे अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर कीजिए तथा ऐसे ही जानकारी सबसे पहले पाने के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल को ज्वाइन कर लीजिए | और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए |
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